होठ खामोश से थे उसकी की शादी में दर्द तो सारा इसी रस्म को निभाने में था !!
अपनी किस्मत को थोड़ा ख़ुद भी तो में आज़माऊँगी मैं अपने हाथ से खुद उस की दुल्हन सजाऊँगी !!
कहां रोते सुकून से भला उस शादी के घर में सो एक सूनी सड़क पर ही आ गए हम दिल हल्का करने !!
तड़पना जुदाई तक सीमित नहीं है मेरा , उसे अभी दुल्हन भी बनते देखना है !!
भुला के बैठा हु जिससे इस मंडप में, वो चेहरा आखिरी फेरे में अचानक ही याद आ गया !!
मिसाल तो बहुत सी हैं मगर हल बस एक है सुबह से शाम तक बस दिल में मेरे हलचल उसी के आने की है !!
जब तक शोर मेरे नाम का इस दुनिया में गुंजेगा, तब तक तो वो विदा हो जाएगी !!
वो सामने मेरे दुल्हन की तरह सजी बैठी हैं ख़्वाब तो अच्छा है मगर अब इन ख्वाबो में भी क्या रखा है !!
मत रख यु हमसे वफा की उम्मीद ऐ सनम, हमने हर दफा बेवफाई ही पायी है, मत ढूंढ हमारे जिस्म पे जख्मो के निशान तू , हमने हर चोट ये दिल पे खायी है !!
#दुल्हन बनकर जिस दिन तू जा रही होगी तेरे हाथों में मेहँदी भी रचाई जा रही होगी, उस दिन तेरी आँखों में मेरे लिए वो प्यार तो नही होगा पर उस दिन के बाद तू भी मेरी मौत पर हर रोज आंसू बहा रही होगी !!