हिंदी कहानियां लिखी हुई | 4+ कहानी सीख वाली 2024

हिंदी कहानियां लिखी हुई – हर एक कहानी से आपको काफी कुछ सिखने को मिलेगा। क्युकी यहाँ हर कहानी सीख वाली ही मिलेगी जो आपको एक नई राह दिखाएगी। बच्चो और बड़ो को यह कहानी बहुत पसंद आएगी।

आज की कहानी बहुत ही ख़ास है, जो आपको जीवन में संघर्ष करने में काफी मदत करेगी। और इन कहनियों से आपको सीख मिलेगी। क्युकी जीवन में बहुत कठिनाइयाँ आती है | जिनसे लड़ने के लिए हमें हौसला चाहिए होता है। इन कहानियों से आपको हौसला मिलेगा।

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4 नैतिक कहानियों का समूह यहाँ से कहनिया शुरू हो रही है तो आप इन कहनियों को पूरा पढ़े क्युकी यह सब आपके लिए ही है।

Hindi Mein kids kahani – हाथी और बकरी की कहानी

यह कहानी है एक बकरी और एक हाथी की जो की बहुत बड़े जंगल में रहते थे | और दोनों ही बहुत ही पक्के दोस्त थे दोनों एक दूसरे के बिना खाना भी नहीं खाते थे | और खाने की तलाश भी दोनों मिलकर एक साथ ही करते थे |

एक समय की बात है जब यह दोनों खाने की तलाश में जंगल से काफी आगे निकल चले, जहां पर एक तालाब था | और उन्हें तालाब के किनारे पर एक बेर का पेड़ दिखाई दिया |

जिसे देखकर वह दोनों बहुत खुश हुएऔर दोनों बैर के पेड़ के करीब चले गए | फिर हाथी ने अपनी सूंड से बैर के पेड़ को पकड़ कर जोर से हिला दिया | जिससे सभी पके हुए बैर डांल से टूट कर जमीन पर गिर गएऔर बकरी उन बेरो को इकट्ठा करने लगी |

लेकिन उसे बैर के पेड़ पर एक चिड़िया ने छोटा सा घोंसला भी बनाया हुआ था | जिसमें चिड़िया का बच्चा सो रहा था | और चिड़िया अपने खाने की तलाश में गई थी |

और हाथी को यह बात पता नहीं था | की पेड़ पर चिड़िया का बच्चा है बेर का पेड़ जोर से हिलाने के कारण वह चिड़िया का बच्चा तालाब में गिर गया और डूबने लगा |

जब बकरी की नजर उस चिड़िया के बच्चे पर पड़ी तो बिना सोचे समझे. उसने तालाब में छलांगा मार दी और बकरी को तैरना ना आने के कारण वह भी डूबने लगी |

बकरी को डूबता हुआ देखकर हाथी बिना सोचे समझे पानी में कूद गया | और उसने अपने पक्के दोस्त बकरी और उस छोटे  से चिड़िया के बच्चे को डूबने से बचा लिया |

और इतनी देर में चिड़िया भी दाना लेकर वहां पर पहुंच गई | और वह अपने बच्चे को सही सलामत देखकर खुश हो गई | और उसने हाथी और बकरी को अपने साथ इसी बैर के पेड़ पर रहने के लिए कहा तब से वह तीनों ही उसे बैर के पेड़ के नीचे इकट्ठे रहने लगे |

कुछ दिनों बाद चिड़िया का बच्चा भी बड़ा हो गया | तो अब चिड़िया अपने बच्चों के साथ पूरे जंगल में घूम-घूम कर उस पेड़ की तलाश में रहती थी, जिस पेड़ पर फल लगे होते थे |

और जब उसे वह पेड़ मिल जाता है तो वह बकरी और हाथी को वहां ले जाती | इस तरह तीनों एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहने लगे और मजे से खाते पीते जीवन जीने लगे |

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है | कि हमें कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए | और अगर गलती से हमसे कुछ गलत भी हो जाए तो उसे सुधार कर दूसरे की मदद करनी चाहिए, और मिलजुल कर रहना चाहिए | 

धोबी का चालाक गधा – हिंदी कहानियां लिखी हुई

एक समय की बात है, एक गांव में एक धोबी रहा करता था | और उसके पास एक गधा था और वह रोजाना अपने गधे के साथ लोगों के घरों पर जाता और उनके गंदे कपड़ों को लाता था | और धोकर वापस उन्हें दे आता इसी से उसकी रोजी रोटी चलती थी |

धोबी के पास वह गधा काफी सालों से था. अब समय के साथ-साथ गधा बूढ़ा होने लगा था | बढ़ती उम्र में वह कमजोर हो गया था, जिसके कारण वह ज्यादा वजन उठाने में सक्षम नहीं था | एक दिन दोपहर के समय धोबी अपने गधे को लेकर कपड़े धोने के लिए धोबी घाट लेकर जा रहा था |

धूप बहुत तेज थी और गर्मी की वजह से दोनों की हालत खराब थी | एक तो इतनी ज्यादा गर्मी और ऊपर से गधे के ऊपर बहुत सारा बोझ था | कपड़ों का जिसके कारण गधे को चलने में काफी दिक्कत हो रही थी |

 जिसकी वजह से गधे का पर चलते-चलते थोड़ा सा लड़खड़ा गया, और वह एक गहरे गड्ढे में जाकर गिर गया | गधे कोगड्ढे में गिरा देखकर धोबी घबरा गया और उसे बाहर निकालने के लिए बहुत सारी कोशिशें करने लगा गधा इतना ज्यादा कमजोर हो गया था |

कि वह गड्ढे से निकलने की भरपूर कोशिश करने के बावजूद भी उसे गड्ढे में फंसा रहा, और उसकी सारी कोशिश ना कामयाब रही | जब धोबी अपने गधे को गधे से बाहर नहीं निकल पाया तो उसे गांव वालों की मदद लेनी पड़ी पर कोई भी उसे गधे को गड्ढे से बाहर नहीं निकल पा रहा था | 

तब गांव के लोगों ने धोबी को यह सलाह दी की गधा बूढ़ा हो गया है | इसलिए वह अब उसके किसी काम का नहीं रह गया, और वह उसे यह सुझाव देने लगे कि वह गड्ढे में मिट्टी डालकर उसे गधे को यही दफना दे |

पहले तो धोबी इस बात पर नहीं माना लेकिन कुछ समय के बाद जब वह परेशान हो गया, तो वह गड्ढे को दफनाने के लिए तैयार हो गया | सभी गांव वालों ने मिलकर फावड़े की मदद ली और गधे के ऊपर मिट्टी भरने लगे |

और जब गधे को यह एहसास हुआ कि यह सब उसको दफ़न रहे हैं | तो उसे बहुत दुख हुआ, जिससे उसकी आंखों में आंसू आ गए पहले तो गधा चिल्लाने लगा | पर कुछ देर के बाद वह चुप हो गया तब अचानक धोबी की नजर उसे गधे पर पड़ी |

कि वह कुछ अलग हरकतें कर रहा है | जब उसने इस बात पर थोड़ा ध्यान दिया कि आखिर वह गधा क्या कर रहा है ? तब उसने पाया कि जो भी लोग उसे पर मिट्टी डाल रहे हैं | गधा उसे मिट्टी को अपने शरीर की सहायता से मिट्टी को अपने नीचे दबता और अपने शरीर को ऊपर उठा लेता था |

ऐसा लगातार करने से गड्ढे की मिट्टी भरने लगी, और गधा धीरे-धीरे ऊपर आने लगा | धोबी अपने गधे की इस समझदारी को देख कर उसकी आंखों में आंसू आ गए, और उसने गधे को गले से लगा लिया |

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है | कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें अपने पर भरोसा रखकर, अपनी बुद्धि का प्रयोग कर कठिनाइयों को पार करना चाहिए |

हिंदी में बच्चो की कहानी – कहानी जैसे को तैसा

एक समय की बात है सीतापुर गांव में एक हरिदास नाम का बनिया रहता था | उसका काम कुछ अच्छा नहीं चल रहा थाजिस कारण उसने शहर जाने का फैसला लियाउसके पास ना तो ज्यादा पैसा था |

और ना ही कोई कीमती वस्तुलेकिन उसके पास एक लोहे का तराजू था | और उसने वह तराजू साहूकार को एक धरोहर के रूप में दे दिया | और उसके बदले में कुछ रुपए उससे ले लिए हरिदास ने साहूकार से कहा कि वह शहर जा रहा है |

फिर वह वहां से लौटकरअपना उधर चुकाकर तराजू वापस ले जाएगा, हरिदास को सीतापुर गांव को छोड़े हुए 2 साल हो गए | और वह 2 साल की बाद शहर से अपने गांव आयातो वह सीधा साहूकार के पास गया |

और अपना तराजू मांगने लगा साहूकार बोला कि वह तराजू तो चौहान ने खा लिया हरिदास समझ गया | कि साहूकार उसी तराजू को वापस नहीं करना चाहता तभी हरिदास के दिमाग में एक आइडिया आया |

उसने कहा कि कोई बात नहीं अगर तराजू को चौहान ने खा लिया है | तो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं सारी गलती तो चूहा की है | थोड़ी देर बाद हरिदास ने साहूकार से कहा कि मैं नदी में नहाने जा रहा हूं |

तुम अपने बेटे को भी मेरे साथ भेज दो वह भी मेरे साथ नहा लेगा साहूकार हरिदास के व्यवहार से बहुत खुश था | इसलिए उसने हरिदास को एक सज्जन आदमी समझकर अपने बेटे को उसके साथ नहाने के लिए नदी पर भेज दिया |

हरिदास ने साहूकार के बेटे को नदी से कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बंद कर दिया | और एक गुफा गुफा के दरवाजे पर बहुत बड़ा पत्थर रख दिया |

हिंदी कहानियां लिखी हुई

जिससे साहूकार का बेटा गुफा से बाहर ना निकल पाया ,और वह वापस साहूकार के पास गया | और उसे अकेला देखकर साहूकार ने उससे पूछा कि मेरा बेटा कहां है? तब हरिदास बोला कि माफ करना दोस्त तुम्हारे बेटे को तो चल उठाकर ले गई है |

साहूकार यह सुनकर परेशान हो गया और बोला कि कैसे हो सकता है | क्या इतने बड़े बच्चों को उठाकर कैसे ले जा सकती है | तब हरिदास बोला जैसे चूहे लोहे की तराजू को खा सकते हैं | वैसे ही चल भी तुम्हारे बच्चे को उठाकर ले जा सकती है |

अगर बच्चा चाहिए तो तराजू लौटा दो तब साहूकार हरिदास की चाल समझ गया | और उसने हरिदास को तराजू वापस लौटा दिया, और हरिदास ने साहूकार के बेटे को आजाद कर दिया |

कहानी की सीख 

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है | कि यदि कोई आपके भोलेपन का फायदा उठाएं तो जैसा वह आपके साथ करें, आपको भी उसके साथ वैसा ही करना चाहिए जैसे को तैसा |

बच्चो की कहानी – शेर की चाल हुई कामयाब

यह कहानी है तीन बैलों की जो कि आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे | जो हमेशा साथ-साथ रहा करते थे, और घास भी एक साथ ही चला करते थेइस जंगल में एक खूंखार शेर भी रहा करता था | 

और इस शहर की नजर थी उन तीनों बैलों पर और वह इन तीनों को खाना चाहता था | उसने कई बार बैलों को पकड़ने की भी कोशिश करी लेकिन बैलों में इतनी अच्छी दोस्ती थी और इतनी एकता थी |

कि वह तीनों को कभी पकड़ ही नहीं पाया जब जब शेर ने उन पर हमला किया | तब तक तीनों त्रिकोण बनाकर अपने नुकीले सिंगो से एक दूसरे की रक्षा करते |

तीनों बैलों ने कई बार शेर को घायल कर भगाया भी था | लेकिन शेर जिद्दी था, और वह कुछ भी करके उन तीनों बैलों को खाना चाहता था | और शेर यह बहुत अच्छे से समझ गया था | 

कि जब तक यह तीनों साथ रहेंगे तो वह इन तीनों को नहीं खा पाएगा | इसलिए शेर ने इन तीनों को अलग करने के लिए एक चाल चली | और जंगल में शेर ने यह अफवाह उड़ा दी कि इन तीनों बैलों में से एक बैल अपने साथियों को धोखा दे रहा है |

बस फिर क्या था, शेर की एक छोटी सी चाल सेबैलों में एक दूसरे को लेकर शक पैदा हो गया | कि आखिर वह कौन सा बल है जो दो को धोखा दे रहा है | और एक दिन इस बात को लेकर तीनों बैलों में आपस में लड़ाई हो गई |

और शेर अपनी चाल में सफल रहा जिस कारण तीनों बेल अलग-अलग रहने लगे और उनकी दोस्ती टूट गई | अब वह अलग-अलग घास चरते और शेर इसी मौके की तलाश में था |

और शेर ने एक दिन उन तीनों बैलों में से एक पर हमला कर दिया, अकेला होने के कारण वह बैल शेर का मुकाबला नहीं कर सका और शेर ने उसे मार डाला और कुछ दिनों के बाद शेर ने दूसरे बैल को पकड़ लिया | 

और उसे भी मारकर खा गया अब सिर्फ एक ही बल बच गया | और वह यह जानता था, कि शेर अब उसे खाएगा उसके पास बचने का कोई उपाय नहीं था | 

और वह यह भी जानता था, कि वह अकेला रहकर शेर का मुकाबला नहीं कर सकता जब वह एक दिन जंगल में घास चल रहा था | तो शेर ने उसे भी अपना शिकार बना लिया और शेर की चाल पूरी तरह से कामयाब हो गई |

और उसने तीनों ही बैलों को खा लिया, और उसको अपने दिमाग पर बड़ा घर हुआ  कि उसने अपनी एक छोटी सी चाल से इन तीनों ही बैलों को अलग कर दिया है |

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, की एकता में बड़ी ताकत होती है | हमें हमेशा आपस में मिलकर रहना चाहिए, और दूसरों की बातों में आकर कभी भी गलत कदम नहीं उठाना चाहिए |

आशा करता हूँ दोस्तों आपको हिंदी कहानियां लिखी हुई पसंद आयी होगी। इस कहानी सीख वाली से आपने काफी कुछ सीख लिया होगा। आप अपने दोस्तों को भी इस कहानी को share जरूर करे ताकि वो भी इन्हे पढ़ सके।

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