Premchand ki kahani | दो बैलों की कथा in hindi – मुंशी प्रेमचंद की कहानी लोगो के बिच में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है, कुछ ऐसे ही १ कहानी आपको यहाँ पे पढ़ने को मिल रही है इस कहानी में 2 बैलो के बारे में बताया है।
बैलो के जीवन में कितना संघर्ष होता है यह आपको आज इस post के जरिये पता चल जायेगा एक मालिक जो अपने बैलो से प्यार करता है और वही पे मालिकिन जो बैलो को दर्द देती है।
यही नहीं मालकिन बैलो को अपने भाई के वह बेज देती है और उन बैलो के साथ वह क्या होता है कैसे संघर्ष करते है आप जब कहानी को पूरा पढ़ लोगो तभी पता चलेगा तो शुरू करते है।

Premchand ki kahani | हिंदी कहानियाँ 2023
जानवरों में गधे को सबसे नासमझ माना जाता है यदि हम किसी व्यक्ति को बेवकूफ की संज्ञा देना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं क्या गधा सच में बेवकूफ है उसके साधारण व्यवहार ने उसे यह पदवी दी यह तो पता कर पाना मुश्किल है |
गाय सींग मारती है और ब्याई हुई गाय तो बिना कारण ही शेरनी बन जाती है कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है परंतु कभी ना कभी वह भी क्रोधित हो ही जाता है परंतु आपने कभी भी गधे को क्रोध करते हुए नहीं सुना होगा और ना ही देखा होगा जितना चाहे गरीब को मारो, चाहे जितनी भी खराब हालत हो और खाने को सड़ी हुई घास ही क्यों ना दे दो लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर कभी भी असंतोष के भाव को नहीं देखा होगा |
उसके चेहरे पर एक स्थाई विषाद स्थाई रूप से छाया रहता है, गधे को आपने सुख-दुख या लाभ हानि जैसे भाव को किसी भी दशा में बदलते हुए नहीं देखा होगा, जितने भी ऋषि-मुनियों के गुण हैं, वे सभी उसमें समाहित है पर फिर भी आदमी उसे बेवकूफ कहता है, नासमझ मानता है सद्गुणों का इतना अपमान कहीं नहीं देखा होगा कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त है ही नहीं |
अब देखिए ना भारतवासियों की कैसे अफ्रीका में दुर्दशा हो रही है बेचारे मदिरापान नहीं करते ,चार पैसे बुरे समय के लिए बचा कर रखते हैं, बहुत ही मेहनत से कार्य करते हैं, और लड़ाई झगड़े से भी दूर रहते हैं, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं पर फिर भी बदनाम है कहा जाता है कि यह लोग जीवन के आदर्श को नीचा करते हैं, अगर वह भी ईट का जवाब पत्थर से देने लग जाते तो शायद सभ्य माने जाते |
बात करें गधे की तो गधे का एक छोटा भाई और भी है जो बैल है, जिस प्रकार हम नासमझ कहने के लिए गधे शब्द का प्रयोग करते हैं कुछ उसी से मिलते जुलते अर्थ में बच्चियां के ताऊ का भी प्रयोग करते हैं कुछ लोग शायद बैल को बेवकूफो में सबसे बड़ा मानते हैं, मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है बैल कभी-कभी मारता भी है |
Premchand ki kahani | मुंशी प्रेमचंद की हिंदी कहानियाँ 2023
और सड़कों पर या रास्ते पर चलते समय हमें कई बार भी अपना असंतोष प्रकट करते हुए देखा भी जा सकता है अब उसका स्थान गधे से नीचा है झूरी के दोनों बैलों के नाम हीरा और मोती दोनों ही परछाई जाति के थे देखने में बहुत सुंदर, काम में एकदम चौकस, कद काठी में ऊंचे और बहुत समय तक साथ रहते रहते इन दोनों ही बैलों में भाईचारा सा हो गया था, दोनों एक दूसरे के आस पास बैठे हुए मुक भाषा में वार्तालाप करते थे एक दूसरे की बात कैसे समझ जाता था हम नहीं कह सकते अवश्य ही उनके पास कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवो में सर्वश्रेष्ठ का दावा करने वाला मनुष्य नहीं जानता |
दोनों एक दूसरे को चाट कर और सूघ कर अपना प्रेम व्यक्त करते थे, और कभी कभी दोनों आपस में सिंग मिला लिया करते थे लड़ाई झगड़े के कारण नहीं केवल प्रेम भाव से, आत्मीयता के भाव से जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही ढोल धब्बा होने लगता है इसके बिना दोस्ती कुछ हल्की फुल्की सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता |
जिस वक्त यह दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते हैं और गर्दन हिला हिला कर चलते हैं, उस वक्त दोनों बैलों की यही चेष्टा होती थी, कि अधिक भार उनके गर्दन पर पड़े पूरे दिन भर के बाद दोपहर या साझं को दोनों खुलते तो दोनों एक दूसरे को चाट कर अपनी थकान मिटा लेते नाद में खली भूसा पढ़ जाने के बाद, दोनों साथ उठते साथ ही नाद में मुंह डालते और साथ ही बैठते थे और यदि एक अपने मुंह को हटा लेता तो दूसरा भी मुंह हटा लेता था |
बहुत ही सहयोग की बात हैझूरी ने एक बार गोई को ससुराल भेज दिया बैलों को क्या मालूम कि वह क्यों भेजे जा रहे हैं, समझे की मालिक ने हमें बेच दिया है अपने को बेचा जाने के कारण उन्हें अच्छा लगा या बुरा कौन जाने पर झुरी के साले गया को घर तक बैलों को ले जाने में दांतो तले पसीना आ गया, पीछे से हांकता था तो दोनों दाएं बाएं भाग जाते, पगईया पकड़कर आगे से खींचता तो दोनों पीछे की ओर दौड़ लगाते और यदि मारता तो दोनों सिंह नीचे करके हु करते थे |
यदि भगवान ने उन्हें वाणी दी होती तो झूरी से अवश्य पूछते तुमहम गरीबों को क्यों निकाल रहे हो, हमने तो तुम्हारी सेवा करने में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं करी यदि इतनी मेहनत से काम नहीं चलता था तो और काम ले लेते हमें तो तुम्हारी चाकरी में मरना भी कबूल था, हमने कभी दाने चारे की शिकायत भी नहीं की तुमने जो भी हमारे सामने खाने को डाला हमने सिर झुका कर खा लिया फिर तुमने हमें इस जालिम के हाथों क्यों बेच दिया ?
सूरज डूबते समय दोनों बेल अपने नए स्थान पर पहुंच गए दिन भर से भूखे थे, लेकिन जब नाद में लगाए गए तो एक ने भी उसमें मुंह ना डाला दिल भारी हो रहा था क्योंकि जिसे उन्होंने अपना घर समझा था वह आज से छूट गया था |
फिर एक नया घर नया गांव नए आदमी उन्हें बेगाने से लग रहे थे, दोनों ने ही अपनी भाषा में सलाह की एक दूसरे को कनखियों से देखा और लेट गए जब गांव में सोता पड़ गया तो दोनों ने जोर मार कर पगहे तोड़ डालें और घर की ओर रवाना हुए, अनुमान लगाना मुश्किल था कि कोई बेल उन्हें तोड़ सकेगा पर इन दोनों में इस समय दोगुनी शक्ति आ गई थी एक ही झटके से रसिया टूट गई |
जब झुर्री प्रातः सो कर उठा तो देखा कि दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं दोनों की गर्दन में आधी आधी रस्सी लटक रही थी, और घुटने तक पाव कीचड़ से भरे हैं और दोनों की आंखों में विद्रोहमाय प्रेम झलक रहा है, झूरी बैलों को देखकर गदगद हो गया, और दौड़ कर उन्हें गले लगा लिया प्रेम आलिंगन और चुंबन का वह दृश्य बड़ा ही मनमोहक था वही आसपास घर और गांव के कुछ लड़के जमा हो गए और तालियां बजा बजाकर उनका स्वागत करने लगे |
Premchand ki kahani | मुंशी प्रेमचंद की कहानी
गांव के इतिहास में यह घटना अभूतपूर्व ना होने पर भी महत्वपूर्ण थी बालसभा ने निश्चय किया दोनों पशु वीरों को अभिनंदन पत्र देना चाहिए कोई अपने घर से रोटियां लाया तो कोई गुड कोई चौकर तो कोई भूसी एक बालक बोला कि ऐसे बैल किसी के पास ना होंगे दूसरे ने समर्थन किया |
इतनी दूर से दोनों अकेले ही चले आए तीसरा बोला यह बैल नहीं यह तो उस जन्म के आदमी है इसका प्रतिवाद करने का किसी को साहस ना हुआ, जब झुरी की स्त्री ने बैलों को द्वार पर खड़ा पाया तो गुस्से से भर गई और बोली कैसे नमक हराम बैल है, यह 1 दिन वहां का काम ना किया और भाग खड़े हुए झूरी अपने बैलों पर इस प्रकार का आक्षेप नहीं सुन पाया, और तिल मिलाकर बोला नमक हराम क्यों है? चारा दाना ना दिया होगा तो क्या करते ?
स्त्री ने रोब के साथ कहा बस तू ही बैलों को खिलाते हो और तो सभी पानी पिला कर रखते हैं, फिर झुरी ने चिढ़ाया और बोला चारा मिलता तो क्यों भागते ? स्त्री चढ़ते हुए बोली भागे इसलिए है, कि वे लोग तुम जैसे पागलों की तरह सहलाते नहीं है खिलाते हैं तो रगड़ कर जोतते भी हैं, यह दोनों ठहरे काम चोर भाग निकले अब देखो ? कहां से खली और चोकर मिलता है सूखे भूसे के सिवा कुछ ना दूंगी खाएं चाहे भूखे मरे और वही हुआ |
Premchand ki kahani | मुंशी प्रेमचंद की कहानी
मजदूर को कड़े शब्दों में कहा गया कि बैलों को खाली सूखा भूसा दिया जाए जब बैलों ने नाद मैं मुंह डाला तो फीका फीका सा था, ना कोई चिकनाहट ना कोई क्या खाएं? फिर झुरी ने मजदूर से कहा थोड़ी सी खली क्यों नहीं डाल देता बे ? तो मजदूर बोला मालकिन मुझे मार ही डालेगी ना दादा पीछे से तुम भी उन्हीं की शह लोगे दूसरे दिन झुरी का साला फिर आया और बैलों को लेकर चला गया, अब कि उसने दोनों को गाड़ी में जोता दो चार बार मोती ने गाड़ी को सड़क की खाई में गिरा ना चाहा पर हीरा ने संभाल लिया वह ज्यादा सहनशील था |
संध्या समय पर पहुंचकर उसने दोनों को मोटी मोटी रस्सीयो से बाधा और कल की शरारत का मजा खाया फिर वही सूखा बेकार भूसा डाल दिया और अपने दोनों बैलों को खली चुनी सब कुछ दिया दोनों ही बैलों का ऐसा अपमान कभी ना हुआ था, झूरी ने कभी फूल की छड़ी से भी ना मारा था उसकी टिटकार पर दोनों लड़ने लगते थे, यहां मार पड़ी सम्मान भी गया और खाली सूखा भूसा खाने को मिला |
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नाद की तरफ अभी तक नहीं उठाई थी दूसरे दिन गया ने बैलों को हल में जोता, पर इन दोनों ने पांव तक ना उठाया जैसे कोई कसम खाई हो वह मारते मारते थक गया पर दोनों ने पांव तक ना उठाया, एक बार जब उस निरदय ने हीरा की नाक पर खूब डंडे जमाए, तब मोती का गुस्सा काबू से बाहर हो गया, यदि गले में बड़ी-बड़ी रसिया ना डाली होती तो दोनों पकड़ में ना आते तब हीरा मुक भाषा में बोला भागना बेकार है |
तब मोदी ने जवाब दिया तुम्हारी तो इसने जान ही ले ली थी, अबकी बार बहुत मार पड़ेगी पढ़ने दो बैल का जन्म लिया है तो मार से कहां तक बचेंगे गया दो आदमियों के साथ दौड़ा आ रहा था दोनों के ही हाथों में लाठियां थी, मोती बोला कहो तो दिखा दूं कुछ मजा मैं भी लाठी लेकर आ रहा है हीरा ने समझाया नहीं भाई चुपचाप खड़े हो जाओ, मुझे मारेगा तो मैं भी एक दो को गिरा दूंगा नहीं हमारी जाति का यह धर्म नहीं है |
Premchand ki kahani | Story 2023
मोती दिल में ऐठ कर रहे गया गया पहुंचा और दोनों को पकड़ कर ले गया, मोती के तेवर देखकर उसके सहायक भी समझ गए कि इस वक्त टांलना ही सही है आज दोनों के सामने फिर वही सूखा भूसा डाल दिया, गया दोनों चुप होकर खड़े रहे घर के लोग भोजन करने लगे उस वक्त एक छोटी सी बच्ची दो रोटियां लिए हुए निकली और दोनों के मुंह में देकर चली गई एक रोटी सेइनकी भूख तो क्या शांत होती, पर दोनों के ह्रदय को मानो भोजन मिल गया |
यह सोचने लगे कि यहां भी किसी सज्जन का वास है लड़की भैरव की थी उसकी मां मर चुकी थी, और सौतेली मां उसे मारती रहती थी इसलिए इन दोनों बहनों से उसे एक प्रकार का लगाओ सा था, दोनों दिन भर जाते जाते डंडे खाते अर्डते और शाम को थान पर बांध दिए जाते रात को वही बच्ची आकर उन्हें दो रोटियां खिला जाती, इसके उपरांत भी उन दोनों की आंखों में रोम रोम में विद्रोह भरा हुआ था |
1 दिन मोदी ने मुख भाषा में कहा अब तो नहीं सहा जाता हीरा क्या करना चाहते हो? एक आद कोसी गोबर उठाकर फेंक दूंगा लेकिन जानते हो वह प्यारी लड़की जो हमें रोटियां खिलाती है, उसी की लड़की है जो इस घर का मालिक है यह बेचारी अनाथ ना हो जाएगी ?
तो मालकिन को ना फेंक दूं वही तो उस लड़की को मारती है, लेकिन औरत जात पर सिंह चलाना मना है यह भूले जाते हो तुम तो किसी भी प्रकार से निकलने नहीं देते हीरा बोलो तो तोड़ कर भाग जाए हां यह मैं स्वीकार करता हूं, लेकिन इतनी मोटी रस्सी टूटेगी कैसे इसका एक उपाय है पहले रस्सी को थोड़ा सा चलो फिर एक झटके में जाती है |
रात को जब वो छोटी बच्ची रोटिया खिला कर चली गई दोनों रसिया चबाने लगे पर मोटी मोटी होने के कारण बेचारे बार-बार दौड़ लगाते ही रह जाते थे, तभी घर का द्वार खुलता है और वह छोटी बच्ची निकलती है दोनों सिर झुका कर उसका हाथ चाटने लगते हैं और दोनों की पूछ खड़ी हो गई थी, उसने उनके माथे शहनाई और बोली खोले देती हूं |
Premchand ki kahani | दो बैलों की कथा
चुपके से भाग जाओ नहीं तो यहां लोग मार डालेंगे आज घर में बात हो रही है, कि इनकी नाकों में नात डाल दी जाए और उसने उन बैलों की रस्सी को खोल दिया पर दोनों चुपचाप खड़े रहे तब मोदी ने अपनी मुंह भाषा में पूछा अब चलते क्यों नहीं हीरा ने कहा चले तो लेकिन, कल ही समाज पर आफत आएगी सब इसी पर संदेह करेंगे सब बालिका चिल्लाई दोनों फूफा वाले बैल भागे जा रहे हैं |
वह दादा दोनों बैल भागे जा रहे हैं जल्दी दौड़ो गया हड़बड़ा कर भीतर से निकला ,और बहनों को पकड़ने लगा वह दोनों भागे गया ने पीछा किया और भी तेज हुए गया नहीं फिर हल्ला मचाया फिर गांव के कुछ आदमियों को भी साथ लेने के लिए लौटा सीधे दौड़ते चले गए उनको रास्ते का भी ध्यान नहीं था, क्योंकि वह चीज रास्ते को जानते थे, उसका यहां पता ना था नए नए गांव मिलने लगे तब दोनों एक खेत के किनारे खड़े होकर सोचने लगे कि आप क्या करना चाहिए, हीरा ने कहा मुझे लगता है राह भूल गए हैं तुम भी बेतहाशा भागे उसको वही मार गिराना था, उसे मार गिराते तो दुनिया क्या कहती वह अपना धर्म छोड़ दे लेकिन हम अपना धर्म क्यों छोड़े दोनों भूख से व्याकुल हो रहे थे |
खेत में मटर खड़ी थी चलने लगे रुक रुक कर लेते कोई आता तो नहीं है जब पेट भर गया, दोनों ने आजादी का अनुभव किया तो मस्त होकर उछलने कूदने लगे पहले दोनों ने डकार ली फिर सिंह मिलाएंऔर एक दूसरे को धकेलने लगे मोती ने हीरा को कई कदम हटा दिया यहां तक कि वह खाई में गिरने वाला था, तब उसे भी क्रोध आया संभल कर उठा और फिर मोती से भिड़ गया मोती ने देखा खेल में झगड़ा हुआ चाहता है तो किनारे हट गया |
Premchand ki kahani in Hindi
अरे यह क्या कोई सांड दौड़ता चला आ रहा है दोनों मित्र बगले जागने लगे सालपुरा हाथी है उस से भिड़ा भेजना जान से हाथ धोना है, लेकिन ना मिलने पर भी जान बसती नहीं नजर आती इन्हीं की तरफ आ भी रहा है कितनी भयंकर सूरत है मोदी ने मुंक भाषा में कहा अपने घमंड से फूला हुआ है, भाग क्यों ना चले भागना कायरता है तो फिर कोई उपाय सोचो जल्द उपाय यही है, कि उस पर दोनों जने एक साथ चोट करें मैं आगे से रखता हूं |
तुम पीछे से लगे दो दोहरी मार पड़ेगी तो भाग खड़ा होगा मेरी ओर झपटे तुम बगल से उसके पेट में सिंह उतार देना जान जोखिम है पर दूसरों उपाय नहीं है, दोनों मित्र जान हथेली पर लेकर लपक के सांड को भी संगठित चतुर्थ से लड़ने का तजुर्बा ना था वह तो एक शत्रु से मल युद्ध करने का आदी था, हीरा पर झपटा मोदी ने पीछे से दौड़ाया शान उसकी तरफ मुड़ा तो हीरा निर्धारण चाहता था कि एक-एक करके दोनों को गिराने पर यह दोनों भी उस्ताद थे |
Premchand ki kahani in Hindi
उसे वह अक्सर ना देते थे एक बार सांस जलाकर हीरा का अंत कर देने के लिए चला कि मोदी ने बगैर से आकर पेट में सींग गोप दिए, सांड क्रोध में आकर पीछे फिर आया तो हीरा ने दूसरे पहलू से सिंह दिया आखिर बेचारा जख्मी होकर भागा और दोनों मित्रों ने दूर तक उसका पीछा किया यहां तक कि 60 बेदम होकर गिर पड़ा तब दोनों ने उसे छोड़ दिया दोनों मित्र विजय के नशे में झूम के चले जाते सामने मटर का खेती मोती उसमें घुस गया हीरा मना करता रहा पर उसने एक न सुनी अभी दो-चार ग्रास खाए ही थे, कि दो आदमी लड़कियां लिए दौड़ पड़े और दोनों मित्रों को घेर लिया तो मोड पर था निकल गया मोती सीखे हुए खेत में था |
उसके खून कीचड़ में धंसने लगे ना भाग सका पकड़ लिया हीरा ने देखा संगीत संकट में है, तो लौट पड़ा पसंगगे तो दोनों हसेंगे रख वालों ने उसे भी पकड़ लिया प्रातः काल दोनों दोनों मित्र काजी होश में बंद कर दिए गए, दोनों मित्रों को जीवन में पहली बार ऐसा चाबी का पड़ा कि सारा दिन बीत गया और खाने को एक तिनका भी ना मिला |
समझ ही में ना आता था यह कैसा स्वामी है इससे तो गया, फिर भी अच्छा था यहां कई वैसे ही कई बकरियां कई घोड़े कई गधे पर किसी के सामने चार आना था, सब जमीन पर मुर्दों की तरह पड़े थे कहीं तो इतने कमजोर हो गए थे कि खड़े भी नहीं हो पा रहे थे, पूरा दिन दोनों मित्र फाटक की ओर टकटकी लगाए देखते रहते पर कोई चारा लेकर ही नहीं आता था, तब दोनों ने दीवार की नमकीन मिट्टी चाटने शुरू की पर इससे क्या पूर्ति होती रात को भी जब कुछ खाने को नहीं मिला तो हीरा के दिल में विद्रोह की ज्वाला दहक उठी मोती से बोला अब तो नहीं रहा जाता |
मोती मोती ने सिर लटकाए हुए जवाब दिया मुझे तो मालूम होता है, प्राण अभी निकल जाएंगे इतनी जल्दी हिम्मत ना हारो भाई यहां से भागने का कोई उपाय निकालना चाहिए और दीवार तोड़ डाले मुझसे तो अब कुछ नहीं होगा, मोती बोला बाड़े की दीवार कच्ची थी हीरा मजबूत तो था ही अपने नुकीले सिंह दीवार में गिरा दिया और दो और मारो तो मिट्टी का एक चिप पर निकल आया फिर तो उसका साहस बढ़ा उसने दौड़ दौड़ कर दीवार पर छोटे की ओर हर चोट पर थोड़ी थोड़ी मिट्टी गिराने लगा, उसी समय काजी हाउस का चौकीदार लालटेन लेकर जानवरों की हाजिरी ले ने निकला हीरा का उजाड़ पर देखकर उसने उसे कई डंडे रसीद किए और मोटी सी रस्सी में बांधकर चला गया |
Premchand ki kahani in Hindi | मुंशी प्रेमचंद की कहानी
मोदी ने पड़े पड़े कहा आखिर मार खाई क्या मिला ऐसा जोर मारना भी किस काम का के बंधन में ही पड़ गए सोचो दीवार टूट जाती तो कितनी जाने बस जाती कितने भाई यहां बंदे किसी के दिल में जान नहीं है दो-चार दिन और यही हाल रहा तो सब मर जाएंगे हां यह बात तो है, अच्छा तोला फिर मैं भी जोर लगाता हूं मोदी ने भी दीवार में उसी जगह से मारा थोड़ी सी मिट्टी गिरी तो हिम्मत और बड़ी फिर तो वह दीवार में सेंध लगाकर इस तरह दूर कर एक बार पानी दिखा दिया जाता था |
यही उनका आधार था दोनों इतने कमजोर हो गए थे, कि उठा तक ना जाता 1 दिन बाड़े के सामने डमरु समझने लगा और दोपहर होते-होते वहां 50 से 60 आदमी जमा हो गए तब दोनों मित्रों को निकाला गया, और उनकी सूरत देखते और मंशिका करके चले जाते ऐसे मृतक बैलों को कौन खरीदार लेगा, ऐसा एक आदमी जिसकी आंखें लाल थी और मुद्रा अत्यंत कठोर आया और दोनों मित्रों को खोलो में उंगली गोदकर मुंशी जी से बात करने लगा |
उनका चेहरा देखकर अंतर्मन से उन दोनों मित्रों के दिन डर के मारे कांप उठे वह कौन है और ने क्यों टटोल रहा है इस विषय में उन्हें कोई संदेश ना हुआ दोनों ने एक दूसरे को भीगी ने आंखों से देखा और सिर झुका दिया, ईरानी कहा गया कि घर से नहा भागे अब जानना बचेगी मोती ने श्रद्धा के भाव से उत्तर दिया कहते हैं, भगवान सबके ऊपर दया करते हैं उन्हें हमारे ऊपर दया क्यों नहीं आती, भगवान के लिए हमारा मरना जीना दोनों बराबर ही तो है, चलो अच्छा ही है कुछ दिन उसके पास तो रहेंगे एक बार भगवान ने उस लड़की के रूप में हमें बचाया था |
क्या अपना बचाएंगे तब हीरा बोला यह आदमी तो छोरी चलाएगा देख लेना तो मोदी बोला अब क्या चिंता है मांस खाल सिंह हड्डी तक किसी न किसी काम आ जाएंगी , नीलामी हो जाने के बाद दोनों दोस्त उस आदमी के साथ चले गए दोनों की बोटी बोटी काट रही थी बेचारे पांव तक ना उठा पा रहे थे, पर डर के मारे गिरते पढ़ते भागे जा रहे थे क्योंकि वह जरा भी 4 दिन ही हो जाने पर जोर से डंडा जमा देता था, रास्ते में गाय बैलों का रेवड़ हरे हरे चाहो चढ़ता हुआ नजर आया सभी जानवर खुश थे चिकने चप्पल कोई उतरता था, कोई खुशी से बैठता कितना सुखी जीवन था |
इनका पर यह लोग कितने ज्यादा स्वार्थी थे किसी को चिंता नहीं की उनके दो भाई बदी के हाथ पढ़े कैसे दुखी हैं, दोनों को ऐसा मालूम हुआ कि यह परिचित रहा है हां इसी रास्ते से गया उन्हें ले गया था, वही खेत वही बात वही गांव मिलने लगे प्रतिक्षण की चाल तेज होने लगी सारी थकान सारी दुर्बलता गायब हो गई, यह लो अपना ही घर आ गए इसी कुए पर हम पूर्व चलाने आया करते थे यही कुआं है मोदी ने कहा हां हमारा घर नजदीक आ गया |
Premchand ki kahani | मुंशी प्रेमचंद हिंदी कहानियाँ 2023
हीरा बोला भगवान की दया है मैं तो अब घर भागता हूं यह जाने देगा इसे मार गिराता हूं नहीं-नहीं दौड़कर थान पर चलो वहां से हम आगे ना जाएंगे दोनों घर की ओर दौड़े कि यह हमारा थान है, दोनों दौड़ कर अपने स्थान पर आए और खड़े हो गए यह दरिया आदमी भी पीछे पीछे दौड़ा चला आया जूली द्वार पर बैठा तू खा रहा था, बैलों को देखते ही दौड़े और उन्हें बारी-बारी से गले लगाने लगा मित्रों की आंखों में आनंद से आंसू बहने लगे एक झूरी का हाथ चार्ट रहा था |
दरिया ले जाकर बैलों की दशा पकड़ ली ने कहा मेरे बहन है तुम्हारी बेल कैसे मैं मवेशी खाने से नाम भी आता हूं मैं तो समझाता हूं चुराए लिए आते हो चुपके से चले जाओ मेरे बहन है, मैं भेजूंगा तो बिकेंगे किसी को मेरे बैल नीलाम करने का क्या अधिकार है, जाकर थाने में रिपोर्ट कर झुर्री बोला बैलों को जबरदस्ती ले जाने की कोशिश करने लगा |
मोती पीछे दौड़ा गांव के बाहर निकल जाने पर वह रुका पर खड़ा द रियल का रास्ता देख रहा था, द रियल दूर खड़ा धमकियां दे रहा था पत्थर फेंक रहा था और मोती विजयपुर की भांति उसका रास्ता रोके खड़ा था, गांव के सभी लोग यह तमाशा देख रहे थे और हंसते थे तब वह आदमी हार कर चला गया तो मोती अ करता हुआ लौटा ही रानी कहां में डर रहा था |
कि कहीं तुम गुस्से में आकर मारना बैठो अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं भी मारना छोड़ता अब ना आएगा, तो दूर ही इसे खबर लूंगा देखूं कैसे ले जाता है जो गोली मरवा दे मर जाऊंगा, पर उसके काम तूने आऊंगा फिर मोती बोला हमारी जान को कोई जान नहीं समझता इसलिए कि हम इतने सीधे हैं, जरा देर में ना दो मैं खली भूसा चोकर और दाना भर दिया गया और दोनों मित्र खाने लगे झूरी खड़ा दोनों बालों को सहला रहा था, और बीसू गांव के लड़के तमाशा देख रहे थे सारे गांव में उत्साह था मालूम हो रहा था उसी समय मालकिन ने आकर दोनों के गले लग गई |
दोस्तों आशा करता हु आपको यह Premchand ki kahani in Hindi | मुंशी प्रेमचंद की कहानी दो बैलों की कथा in hindi | हिंदी कहानियाँ 2023 की कहानी पसंद आयी होगी, इस कहानी को आप शेयर जरूर करे और अपना कीमती Comment हमें जरूर करे और बताये कहानी कैसे लगी है आपको आपका धन्यवाद।