greedy story moral in hindi – ये कहावत तो आपने सुनी होगी लालच बुरी बला है, इस कहानी में भी ठीक इसी तरह से लालच करने वाले अपने ही बेटे को मार देते है, इसी लिए काइस्ते है ज्यादा लालच ( greedy ) नहीं करना चाहिए moral story ।
इस कहानी में बहुत कुछ सिखने को मिलने वाला है Greedy (लालच) कोई भी इंसान करता है चाहे किसी भी भाव से उसे बाद में पछताना जरूर पड़ता है। तो अब शुरू करते है।
Greedy story moral in hindi | लालची इंसान की कहानी
यह कहावत आमतौर पर आपने किसी न किसी के मुंह से जरूर सुनी होगी, आमतौर पर इस मुहावरे का उपयोग किसी को व्यंग करने के लिए किया जाता है एक गांव हुआ करता था, जो कि राजस्थान के छोटे से शहर के निकट बसा हुआ था उस गांव में एक धर्मशाला थी.
और उस धर्मशाला मैं रुकने वाले व्यक्तियों की सेवा करने वाला आदमी बहुत ही ईमानदार था वह धर्मशाला गांव में बहुत ही ज्यादा प्रचलित थी, वहां बड़े-बड़े राजा महाराजा और गरीब से लेकर अमीर तक सभी तरह के व्यक्ति उस धर्मशाला में रात्रि के पश्चात वहीं रुका करते थे.
क्योंकि धर्मशाला के निकट ही एक घना जंगल था जहां पर डाकुओं का गुट रहा करता था, और वह डाकू रात्रि के पश्चात सभी लोगों को लूटा करते थे, लूट के डर के कारण वहां से गुजर रहे व्यक्ति धर्मशाला में रुकने मैं ही भलाई समझते थे, उस धर्मशाला में काम कर रहे व्यक्ति का नाम भोला और उसकी स्त्री का नाम आनंदी था.
जो कि बहुत गरीब थे पर फिर भी उनकी ईमानदारी के चर्चे खूब प्रचलित थे अपनी मेहनत की कमाई ही खाते थे, और उनका एक प्यारा सा बच्चा जगदीश था और वह खुशी-खुशी उसी धर्मशाला में सभी की सेवा किया करते थे, परंतु धीरे-धीरे दिन बीत गए 1 दिन उनकी धर्मशाला मैं व्यापारी आकर रुके क्योंकि उस व्यापारी के साथ उसका पूरा परिवार था.
Greedy story moral in hindi | लालची इंसान की कहानी
जिस कारण उसे रात्रि में वहीं रुकना पड़ा और प्रातः सुबह जगे तो देखते हैं, कि भोला का बेटा उनकी सेवादारी के लिए हाजिर है जिसे देखकर वह बहुत खुश हो जाते हैं और भोला से कहते हैं, कि कब तक यहां पर यही काम करते रहोगे क्यों ना तुम अपने बेटे को हमारे साथ भेज दो जिसे सुनकर पहले तो यह लोग सोच में पड़ जाते हैं.
और फिर जब वह उन्हें बताते हैं कि तुम्हारा बेटा बहुत बुद्धिमान है, और तुम्हारे बेटे को पढ़ाई लिखाई से बहुत ही प्यार है यदि तुम उसे हमारे साथ भेजते हो तो हम उसे व्यापार का सारा काम सिखा देंगे, और साथ में हम उसे तनख्वाह भी देंगे और उसके शिक्षा का खर्चा भी हमें उठाएंगे जिसे सुनकर उसके माता-पिता दुखी हो जाते हैं.
पर अपने बच्चे की भलाई के लिए वह उसे शहर जाने की इजाजत दे देते हैं, और अपने बेटे को उस व्यापारी के हाथों सौंप देते हैं अब उनका बेटा उनसे कभी अलग नहीं रहा था जिस कारण वह बहुत रोते हैं, और बहुत सोचते हैं कि हमने उसे शहर क्यों भेजा जिस कारण दोनों बहुत ही अकेले-अकेले से रहने लगते हैं.
उनकी कुटिया में मानो एक सन्नाटा सा छा गया था कुछ समय पश्चात एक दिन उनकी धर्मशाला में एक बहुत ही अमीर व्यक्ति आया, और वह उन्हें बहुत सा सोने और चांदी के जेवर हीरे जवाहरात की पोटली पकड़ा कर अपनी जान बचाकर भागने लगा, और यह कह कर गया कि अगर मैं ना आऊं कल तक तो यह मेरा पता है.
और यह पोटली मेरे घर वालों तक मेरे बच्चों तक पहुंचा देना इसमें मेरी जीवन की सारी जमा पूंजी है, भोला मना करता है पर व्यापारी नहीं मानता और वह पोटली भोला के हाथों में थमा कर और डाकू से अपनी जान बचाने के लिए भाग कर चला जाता है, और उस हीरे जवाहरात की पोटली को भोला अपनी पत्नी आनंदी को पकड़ा कर कहता है, कि इसे संभाल देना कहीं डाकू आकर लूट ना ले आनंदी जब वह पोटली संभाल रही होती है.
तो अनायास ही उसके हाथों से वह पोटली गिर जाती है जिसमें से सारे हीरे जवाहरात बाहर गिर जाते हैं, जिसमें हार,कंगन कई प्रकार के जेवर रखे हुए थे और ना चाहते हुए भी उसका मन उन्हें पहनने को करता है, और जब वह उसे पहन रही होती है तो अचानक ही बोला आ जाता है, और उसे फटकार कर कहता है कि यह क्या कर रही हो यह हमारी नहीं है तो वह उस पोटली को संभाल कर रख देती है.
Greedy story moral in hindi ( Hindi Kahani )
पर जब 2 दिन बीतने के पश्चात भी वह व्यापारी नहीं आता तू ना जाने कैसे पर आनंदी के मन में उन हीरो के प्रति आकर्षण सा आ गया और वह अपने पति से कहती है, कि कौन सा व्यापारी के बेटे यहां ढूंढने आ रहे हैं क्यों ना इन जवाहरतों को हम रख ले और अपने पति से लड़ने लगती है, और समझाती है कि हम भी तो इस धर्मशाला में कितने लोगों की सेवा करते हैं.
पर हमें क्या मिलता है कुछ भी नहीं सभी व्यापारी आते हैं, पर एक ढेला नहीं देकर जाते तो ऐसी सेवा भी किस कारण से जब भगवान ने हमें यह मौका खुद दिया है, तो हम गरीब भला क्यों रहे यह कहकर वह जेवरो को अपना समझकर पहन लेती है और अगले दिन भोला के समक्ष खड़ी हो जाती है.
तो भोला डर के मारे चिल्लाता है और कहता है चुपचाप अंदर जाओ कहीं किसी ने देख लिया तो क्या समझेगा कि इतना जेवर हमारे पास अचानक कैसे आया और वह उतार देती है, और अचानक ही वह आदमी प्रकट हो जाता है जिस के यह जेवरात थे, पर अब भोला के मन में भी उन जैवर्रों के प्रति प्यार सा आ गया था..
जब यह आदमी अपने जेवर मांगता है तो भोला भी आनाकानी करने लगता है, और तब व्यापारी बिगड़ कर कहता है कि तुम्हारे मन में खोट आ गया है तब भोला बुरा मान जाता है, और ना जाने कैसे दोनों की आपस में लड़ाई शुरू हो जाती है और लड़ाई में व्यापारी भोला के हाथों मारा जाता है, उस लाश को छुपाने के लिए दोनों पति-पत्नी रात के अंधेरे में निकलते हैं और रेगिस्तान में रेत के नीचे दबा देते हैं.
और जेवरों को भी चुपचाप सूखे कुए की मिट्टी से ढक देते हैं, ताकि किसी को भी उन पर शक ना हो इस घटना के पश्चात उनकी धर्मशाला में एक और व्यक्ति आकर ठहरता है, जो कि बहुतअमीर होता है और अब वह दोनों के मन में जेवर और पैसे के प्रति इतना प्यार बढ़ गया था कि वह अंधे से हो गए थे, और अब वह लोग उस आदमी को भी मारने का षड्यंत्र रचते हैं खाने में उसे वह नींद की गोलियां मिलाकर दे देते हैं.
Greedy story moral in hindi | lalach Insaan ki Kahani
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जिसे वह आदमी सोता ही रहता है और चुपके से भोला जाकर उसका सर कुल्हाड़ी से काट देता है, ऐसे ही दिन बीतते रहते हैं और वह सभी व्यापारियों को मार मार कर उनके हीरे जवाहरातो को अपने पास जोड़ कर रखते हैं, ऐसे ही साल बीतते जाते हैं एक दिन स्वयं उन्हीं का बेटा व्यापारी बनकर उनके समक्ष खड़ा हो जाता है, और उनको यह तनिक भी नहीं बताता कि वह उनका ही बेटा है बस एक व्यापारी बनकर उनके समक्ष आ जाता है.
क्योंकि वह अपने माता पिता को खुश करने के लिए अपनी पहचान को छुपाता है, और उनके हाथ का खाना खाकर उनकी बहुत तारीफ करता है और कहता है, कि इस खाने को खा कर तो मुझे मेरी मां की याद आ गई तब आनंदी को वह अपना सा प्रतीत होता है, पर करें क्या उसका बेटा तो खुद पढ़ने के लिए और पैसे कमाने के लिए बड़ा व्यापारी बनने के लिए शहर गया हुआ है.
पर उसे यह तनिक भी ध्यान नहीं होता कि यह व्यापारी और कोई नहीं उसी का अपना बेटा जगदीश है, और जैसे कि वह सभी व्यापारियों के साथ करते थे, इस व्यापारी के साथ भी उन्होंने ठीक वैसा ही किया रात के अंधेरे में वह चुपचाप उसकी कोठरी में गए, और उसका भी सिर धड़ से अलग करके उसकी लाश को वहां पर छुपा दिया और उसके जितने भी हीरे जवाहरात जितने भी धन वह अपने साथ लेकर आया था.
वह सब उन्होंने लूट लिया और उसे उसी सूखे कुएं में जाकर छुपा दिया अब उनके पास इतना सारा धन हो गया था, जिससे उनकी कई पीढ़ियां बैठ कर खा सकती थी अब उन्होंने फैसला लिया कि आज के बाद हम किसी की भी हत्या नहीं करेंगे, और ना ही किसी को लूटेंगे यह धर्मशाला जैसे पहले चलती थी वैसे ही चलती रहेगी, पर अचानक अगले दिन वही व्यापारी उनके घर आ जाता है जो उनके बेटे को शहर लेकर गया था.
उनकी खुशी का तो मानो ठिकाना ही ना रहा और वह बड़ी प्रसन्नता से उस व्यापारी के पास जाते हैं, और अपने बेटे के बारे में पूछताछ करने लगते हैं तब व्यापारी अचंभित होकर कहता है, कि मैंने तो तुम्हारे बेटे को दो दिन पहले ही भेज दिया था, तो वह अभी तक क्यों नहीं पहुंचा तब उस व्यापारी से अपने बेटे की पहचान को पूछते हैं.
और व्यापारी उन्हें सभी चीजें बता देता है और कहता है, कि वह अपने साथ बहुत सारा धन भी ले आया था और पूरा व्यापारी बन गया है, अब तुम्हें इस धर्मशाला में ऐसे काम करने की आवश्यकता नहीं अब तुम भी अमीर हो व्यापारी के बाप हो और यह कहकर वहां से चला जाता है.
तब भोला और आनंदी को अपनी भूल का पश्चाताप होता है और वह सोचते हैं, कि हमारा बेटा शहर से धन कमा कर लाया और हम उसको पहचान भी ना पाए, और हमने एक व्यापारी समझकर अपने लालच में अपने ही पुत्र का गला काट दिया मात्र धन के लिए मात्र दो कौड़ी के तेवरों के लिए और अपनी भूल का पश्चाताप करने लगते हैं, और कुल्हाड़ी से दोनों अपने भी प्राण त्याग देते हैं.
तो साथियों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि लालच बुरी बला है लालच में आकर हम भले ही किसी को धोखा जरूर दे सकते हैं, पर धीरे- धीरे लालच की जड़ें इतनी मजबूत हो जाती है जिसे उखाड़ फेंकना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है, जिस कारण से व्यंग्यात्मक रूप में यह कहा जाता है कि लालच बुरी बला है |
आपको greedy story moral in hindi कहानी कैसे लगी हमें बताये जरूर और कभी दोस्तों ( Greed ) लालच मत करना अगर आपको कुछ सिखने को मिला हो तो comment शेयर जरूर करे जिससे हमें motivate मिलती रहती है।
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