Management Moral Story in Hindi | चिंता का समाधान 2025

Management Moral Story in Hindi – दुनिया की सबसे बड़ी चिंता का समाधान आपको इस post में पढ़ने को मिलेगा यह Short Moral Story आपको बहुत कुछ सिखाएगा। जीवन में कैसे आप चिंताओं से मुक्त हो सकते है।

कैसे अपने मन को काबू में रख सकते है। कैसे किसी काम को आसानी से कर सकते है |

बिना चिंता ( Tension ) किये जिसकी वजह से आपको अच्छी नींद और आपका शरीर भी स्वस्थ रहेंगा।

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Management Moral Story in Hindi

सालो पहले की बात है, एक राज्य में एक राजा शासन करता था | उसके राज्य में सुख-शांति थी और धन-धान्य की कमी नहीं थी। 

राजा और प्रजा खुशहाल थे और उनका जीवन आनंदमय तरीके से बीत रहा था।

एक साल बाद, उस राज्य में भयानक अकाल पद गया । पानी की कमी के कारण सारी फ़सलें सुख गई। 

इस संकट की घडी में सभी किसान राजा को लगान नहीं दे पा रहे थे, इसके कारण राज्य में बहुत बड़ी कमी आ गई |

और राजकोष खाली होने लगा। राजा बहुत चिंतित में पड़ गए। और उनका मनस्थिति खराब हो लगा । उनके मन में हमेशा यह चिंता सताने लगी की राज्य के खर्च को कैसे पूरा करें?

देखते देखते कुछ समय बाद, अकाल की स्थिति खत्म हो गई और फिर से सामान्य जीवन शुरू हो गया। किंतु राजा के मन में चिंता बनी रही। उनका यह खयाल था कि फिर से अकाल आ सकता है |

और ऐसे में फिर से क्या होगा? इसके अलावा और भी अन्य चिंताएं उन्हें परेशान करने लगीं, जैसे पड़ोसी राज्य का भय, मंत्रिमंडल के षड्यंत्र आदि। इसी कारण उनकी नींद और शांति भी चली गई।

यही सोच सोच के राजा बहुत परेशान होने लगे थे। हालांकि, एक दिन एक सिद्ध साधु उनके दरबार में आए। 

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और फिर राजा ने अपनी समस्या साधु के सामने रखी और समाधान के लिए साधु से सुझाव मागा।

साधु ने राजा की समस्या को समझ लिया और उन्हें बताया, की हे राजन ! आपकी चिंता की सबसे बड़ी समस्या आपके राजपाट में है। 

आप अपने राजपाट को अपने बड़े पुत्र को सौंपकर चिंता मुक्त हो सकते हैं।

राजा ने कहा, मेरा कोई बड़ा पुत्र नहीं है, मेरा तो सिर्फ पांच वर्ष का पुत्र है, और वह अभी बहुत छोटा है, वह इस राज्य को कैसे संभाल सकता है?

साधु ने कहा, तो फिर आप उस बोझ को मेरे पास सौंप दीजिए।

राजा ने साधु की बात मानी और अपना राजपाट साधु को पास सौंप दिया। इसके बाद साधु ने पूछा, अब आप आगे क्या करने वाले हैं?

राजा ने उत्तर दिया, मैं सोच रहा हूं कि कोई अच्छा व्यवसाय ही शुरू कर लूं।

साधु ने पूछा, लेकिन आप व्यवसाय के लिए धन की व्यवस्था कैसे करेंगे? राजपाट तो अब मेरे पास है, राजकोष के धन पर भी मेरा अधिकार है।

राजा ने उत्तर दिया, फिर मैं कोई नौकरी करने लग जाऊंगा जिसे मुझे कुछ धन मिल जायेगा ।

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साधु ने हँसते हुए कहा, हां यह ठीक है, लेकिन अगर आपको नौकरी करनी है तो आपको कहीं और नहीं जाने की आवश्यकता है। 

मैं तो साधु हूँ, मैं अपनी कुटिया में रहता हूँ। आप राजमहल में रहकर अपने राजपाट का कार्य संभाल सकते हैं।

राजा ने साधु की सलाह मान ली और साधु की नौकरी करके राजपाट का कार्य संभालने लगे। और फिर साधु अपनी कुटिया में चले गए।

राजा ने उत्तर दिया, जी हां, अब मैं बिना चिंता किये खा लेता हु और अच्छे से सो भी लेता हूं। पहले भी मैं राजपाट का कार्य करता था, अब भी करता हूं। फिर भी कुछ अंतर कैसे हुआ? यह मेरी समझ के बाहर है।

कुछ दिनों के बाद साधु फिर वापस आए और राजा से पूछा, हे राजन क्या अब आपको भूख लगती है और नींद अच्छे से आती है?

साधु मुस्कुराते हुए बोले, हे राजन ! पहले आपने अपने हर एक काम को बोझ बना लिया था। और हमेशा उसके बारे में सोच सोच कर मन में बैठा लेते थे। 

पर अब राजपाट मेरे पास होने के बाद आपने सभी कार्यो को कर्तव्य मानकर किया है। इसलिए आप चिंतामुक्त हो गए हैं।

Moral कहानी से सीख

 – आप अपने जीवन में जो भी काम कर रहे है, उसे अपना काम समझ कर करे समझकर करें, न कि उसे बोझ समझकर ऐसा करने से आप हमेशा चिंता से दूर रहेंगे।

कभी भी यह मत सोचे की जो काम आप कर रहे है वह बहुत मुश्किल है आप हर काम को आसानी से कर सकते है।  बस आपको अपने Mind को सांत रखकर वह काम करना है। 

आशा करता हु दोस्तों आपको Management Moral Story in Hindi पसंद आया होगा और साथ ही आपने Short moral Story की सीख को भी समझ लिया होगा और अपने जीवन में इसे अपनायेंगे।

आप इस राजा की कहानी को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरूर करे और आपको इस कहानी से क्या सिखने को मिला है हमें Comment करके जरूर बताये।

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