Geeta updesh in hindi – आज के समय में लोग अंध विश्वास और गलत राह पे चल रहे है, उन्हें सही दिशा दिखाने के लिए krishna updesh 2022 लाये है जो आपको काफी motivate करंगे और आगे बढ़ने के लिए एक नई उम्मीद मिलेगी।
श्रीमद्भागवत गीता हिंदुओं के पवित्र ग्रंथों में से एक है इसकी पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है, महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने गीता का संदेश अर्जुन को सुनाया था, जिससे युद्ध जीतना अर्जुन के लिए आसान हो गया था |
यहां दिए गए गीता के कुछ देशों को अपने जीवन में शामिल करके अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो सकेंगे, और अपने जीवन की कठिन समय में भगवत गीता की इन सिखों को अपनाकर कठिन समय से लड़ने के लिए सक्षम हो जाएंगे, और यह geeta updesh in hindi आपकी मुश्किल परिस्थितियों को आसान कर देंगे |
Geeta updesh in hindi
1 – जीवन की समस्याओं का डटकर सामना करना
जीवन की समस्याओं का डटकर सामना करना जिस प्रकार अर्जुन युद्ध का महान नायक होने के बाद भी अपने परिजनों के साथ युद्ध करने से डर रहा था, तथा बहुत भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गए थे |
ठीक उसी प्रकार हम भी अपनी समस्याओं से लड़े बिना उससे हताश और निराश हो जाते हैं, उस समस्या से दूर भागने का प्रयास करते हैं जो कि गलत है, यदि हमें अपने जीवन में सफल होना है तो मार्ग में आए सभी रुकावट से लड़ना आवश्यक है ना कि उससे भागना |
2 – क्रोध और हमारा लालच
भगवत गीता की दूसरी सीख हमें यह बताती है कि हमारे desire (इच्छा), हमारा क्रोध और हमारा लालच यह तीनों ही नर्क के रास्ते हैं पहला है, डिजायर हमारी कामनाएं यदि हम अपनी कामनाओं को पूरा करने के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं या फिर दूसरे का इस्तेमाल करते हैं |
तो इसका परिणाम आगे चलकर बुरा ही होता है फिर आती है बारी क्रोध की हमें अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि अगर हम क्रोध करते हैं तो इससे हमारा मन मस्तिष्क एक गलत तरीके की विचारधाराओं को अपने मन में बना लेता है जो कि भ्रम पैदा करता है |
भ्रम होने से हमारी बुद्धि सोचना बंद कर देती है जिसे क्रोध और अधिक बढ़ता है यदि क्रोध आप कितने ही तर्क क्यों ना दे वह व्यर्थ है, जिसके कारण व्यक्ति अपने मान सम्मान को खो देता है और व्यक्ति दुर्बल होता है जो क्रोध में अपनी आवाज दूसरे से तेज करके उसे डराने का प्रयास करता है वह अपनी डर को ना चाहते हुए भी दिखा देता है |
फिर बारी आती है लालच की यह तो हम सभी जानते हैं कि लालच बुरी बला है, जिस प्रकार व्यक्ति क्रोध में सोचने की शक्ति को खो देता है ठीक उसी प्रकार लालच भी व्यक्ति को सही गलत मैं फर्क नहीं करने देता है और लालच के बारे में गलत रास्ते का चयन कर लेता है, जो कि उसके लिए ही नहीं सभी के लिए हानिकारक होता है |
Geeta updesh in hindi
उदाहरण : के तौर पर आप एक ऐसे नेता का example ले सकते हैं जो कि स्वयं भ्रष्ट है, और अपने लालच के कारण वह सारी जनता का अहित करता है जो स्वयं के लिए खतरनाक है, और सारी जनता के लिए भी खतरनाक होता है इसी कारण लालच को बुरी-बला कहा जाता है |
इसी कारण bhagwat geeta में मनुष्य की कामनाएं मनुष्य के क्रोध और मनुष्य के लालच को दर्द के रास्ते बताए गए हैं, और यह कहा गया है कि जो भी तीनों रास्तों का अनुसरण करता है वे अपने भविष्य में दुखी होता है, इसी कारण यह तीनों ही वासनाएं मनुष्य के लिए नर्क के समान है |
3 – कर्म कर फल की चिंता ना करना | गीता उपदेश कर्मों का फल
भागवत गीता की तीसरी सीख है कर्म कर फल की चिंता ना करना अर्थात जो व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य को चुन लेता है, और उस पर निरंतर कार्य करता है जिस कारण वे भूख प्यास की चिंता छोड़ कर मात्र अपने कार्य पर अपने लक्ष्य पर ध्यान देता है |
फल की प्राप्ति के लिए कार्य नहीं करता अपितु अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए कार्य करता है यही निष्काम कर्म व्यक्ति को सफल बनाते हैं |
उदाहरण : के तौर पर आप यह मान ले एक बच्चा जिसे 12वीं कक्षा मैं अच्छे अंक लाकर पास हो जाता है, और फिर वह UPSC या SSC की तैयारी करने का मन बनाता है वह फॉर्म तो Fill कर देता है |
परंतु Overconfidence के चलते उस परीक्षा में पास होने का अभ्यास नहीं करता और निर्णय आने पर अच्छे रिजल्ट की कामना करता है जो कि गलत है, क्योंकि यदि वह पड़ेगा ही नहीं तो उसका रिजल्ट अच्छा कैसे आ सकता है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी कर्म तो अवश्य करता है परंतु फल की कामना के लिए जो कि गलत है |
4 – मन को नियंत्रण में रखना | Geeta updesh in hindi
भगवत गीता की चौथी सीख हमें यह बताती है की मन को नियंत्रण में रखना अति आवश्यक है, क्योंकि हमारे सभी दुखों का कारण हमारा मन होता है हमारा मन ही हमारे भीतर ऐसी कामनाओं को जगाता है, और ऐसी इच्छाओं को जगाता है जिसको पाने के लिए हम विवश हो जाते हैं |
और फिर वह इच्छाएं बढ़ती ही रहती हैं परंतु मनुष्य सुखी नहीं रहता और जब हमारी सभी इच्छाएं पूरी नहीं होती तो हमारा मन विचलित हो जाता है, जो कि हमारे लक्ष्य को पाने में बाधा उत्पन्न करता है इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने भागवत गीता में मन पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक बताया है |
क्योंकि यदि हमारा मन नियंत्रण में हो जाएगा तो किसी भी गलत कामनाओं के पीछे हमें भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी, और आवश्यक है की हम सिर्फ अपने लक्ष्य की ओर ध्यान दें ना कि समाज में हो रही घटित घटनाओं के बारे में |
5 – इंसानियत होना जरुरी है | bhagwat geeta gyan in hindi
जिस प्रकार मनुष्य पैदा होते ही खाली हाथ आता है उसी प्रकार मरते वक्त भी वह खाली हाथ ही जाता है, कोई भी सदा के लिए नहीं रहता जैसे हमारा शरीर और उसके भीतर आत्मा जो आज हमारे शरीर में है और एक समय पश्चात जब यह शरीर नहीं रहेगा |
तो यह आत्मा नया शरीर धारण करेंगी धरती पर ना आप अमर है, और ना ही कोई और क्योंकि प्रकृति का तो नियम ही बदलाव है तो आखिर ऐसा क्या है, जो हमारे मरने के बाद भी रहेगा वह है हमारा व्यवहार हमारे अंदर इंसानियत जो हम दूसरों तक फैलाते हैं |
यही इंसानियत जो किसी का बुरा ना करें जो किसी का बुरा ना सोचे और अपने फायदे के लिए किसी का इस्तेमाल ना करें यही एक असली इंसानियत है, अच्छा इंसान होना हमारे कर्मों पर निर्भर करता है यदि हमारे कर्म अच्छे होंगे तो यही इंसानियत है और सत्य के मार्ग पर लेकर जायँगे इसीलिए यदि हमें सत्य के मार्ग तक पहुंचना है तो एक अच्छा इंसान होना बहुत जरूरी है |
6 – कर्तव्य पालन और पूर्ण विश्वास | bhagwat geeta krishna updesh in hindi
कर्तव्य पालन और पूर्ण विश्वास धरती पर आकर क्या कर्तव्य है यह जानना सभी के लिए अति आवश्यक है, कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं जो बिना कर्म की धरती पर रह सके क्योंकि रहना सांस लेना खाना-पीना हर चीज में कर्म है, हमारा पहला कर्तव्य है सभी जिम्मेदारियों को पूरी तरीके से निभाना अपने लक्ष्य को चुनना तथा उस लक्ष्य पर पूर्ण विश्वास कर तथा अपने पर आत्मविश्वास रख लक्ष्य को प्राप्त करना ही मनुष्य का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए |
क्योंकि अपने लक्ष्य को चुनने के पश्चात उस लक्ष्य को पाने के लिए कठिन परिश्रम तो सभी करते हैं, परंतु कुछ सफल होते हैं कुछ असफल और जो लोग सफल होते हैं उसके पीछे का कारण यह है कि वे लोग अपने पर पूर्ण विश्वास रखते हैं, परंतु जो लोग अपने लक्ष्य को चुनते जरूर है परंतु उसमें सफल नहीं हो पाते उसके पीछे का कारण है, उनका अपने पर पूर्ण विश्वास ना होना जिस कारण में असफल हो जाते हैं |
इसीलिए यदि आप अपने लक्ष्य को चाहते हैं तो अपने पर विश्वास रखें कि आप उस कार्य को अवश्य ही पूरा करेंगे क्योंकि यदि एक भिकारी अपने मन में ठान ले तो वह करोड़पति बन सकता है, इसलिए मनुष्य को अपने मन में निश्चय कर के अपने लक्ष्य और विश्वास कर उस पर डटे रहना चाहिए और यही मनुष्य का कर्तव्य भी है, और वही मनुष्य सफल भी होता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त भी कर लेता है फिर वही मनुष्य सफल कहलाता है |
7 – कार्य को सोच समझ कर करना | Geeta updesh in hindi
दुनिया में जो कुछ भी होता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा वह किसी कारण से ही होता है, व्यक्ति जो भी कार्य करें यह सोचकर करें कि जो भी हो रहा है, वह उसकी हित में है चाहे वह बुरा ही क्यों ना हो जैसे कि एक गांव में एक महिला रहती थी जिसकी काफी समय से कोई संतान नहीं थी परंतु विवाह के 6 वर्ष पश्चात उसका एक बालक हुआ |
परंतु उसके पति की मृत्यु हो गई जिससे वह भगवान को कोसने लगी उसकी कुछ समय पश्चात उसके बेटे को खेलते खेलते चोट लग गई, जिस कारण बच्चे की छोटी उंगली कट गयी फिर वह बोली कि हे भगवान इस सारा दुख क्या मेरी ही जोली में डालना था, परंतु कुछ दिन बाद गांव में एक राक्षस आया सभी बच्चों को उठा कर ले गया |
ताकि वह बच्चों की बलि दे सके बच्चों में उस महिला का भी बच्चा शामिल था परंतु राक्षस ने उसके बच्चे को इस कारण छोड़ दिया, क्योंकि उसकी एक उंगली कटी हुई थी जो कि उसके काम का नहीं था क्योंकि उसमें एक खोट था |
जिस कारण वह बच्चा अपनी मां के पास वापस लौट गया और वह इतनी खुश हुई कि उसने भगवान को उस दिन प्रसाद चढ़ाया, और यह बोली हे भगवान आज मैं मान गई कि आप जो भी करते हो उसमें कहीं ना कहीं हमारा ही हित छुपा होता है, इसी कारण मनुष्य को वही कार्य करना चाहिए जो भगवान ने उसके लिए चुना है |
अगर मनुष्य वही कार्य करता है वह उसके ही हित में होता है, इसीलिए मनुष्य को सदैव भगवान पर विश्वास रखकर अपने कार्य को करना चाहिए, और यह जानकर करना चाहिए कि जो भी हो रहा है उसमें कहीं ना कहीं हमारा ही हित छुपा है |
8 – सही और गलत लक्ष्य को चुनना | bhagwat geeta updesh in hindi
श्रीकृष्ण कहते हैं कि यदि हम किसी भी कार्य को करते हैं चाहे वह अच्छा हो या बुरा उस कार्य का पता उसके इरादे से लगाया जा सकता है, उस कार्य को करने के पीछे आपके इरादे नेक है या नहीं क्या आप उस काम को इसलिए कर रहे हैं कि इसमें आपका फायदा है या फिर उस काम को करने के पीछे आपका उद्देश्य किसी का भला करना है |
यह सब आपके इरादे पर निर्भर करता है जिस प्रकार महाभारत का युद्ध पांडवों और कौरवों के बीच लड़ा गया जिसमे एक से बढ़कर एक योद्धाओं ने युद्ध लड़ा परंतु दोनों के इरादे अलग थे, जैसे पांडवों ने धर्म के लिए युद्ध लड़ा और कौरवों ने अधर्म के लिए लड़ा दोनों का लक्ष्य एक था परंतु दोनों के इरादे अलग-अलग थे |
और इस युद्ध में जीत सत्य की हुई अर्थात पांडवों की जीत हुई इसी कारण किसी भी मनुष्य को कोई भी कार्य करने से पहले उसके इरादे के बारे में जानना अति आवश्यक होता है, कि आखिर किसी कार्य को करने के पीछे आपके क्या इरादे हैं आप उस कार्य को क्यों कर रहे हैं या उससे किसी को नुकसान तो नहीं और धर्म के लिए किया गया कार्य सत्य के लिए किया गया कार्य कभी भी निष्फल नहीं होता सदैव आपकी ही जीत होती है, क्योंकि वह सत्य के लिए किया गया है और किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना किया गया है |
भगवान कृष्ण द्वारा bhagwat geeta में दिए गए इन 8 उपदेशों को आप भी अपने जीवन में शामिल कर अपने जीवन की कठिन परिस्थितियों को आसानी से पार कर सकते हैं, भगवत गीता के उपदेशों को शामिल कर आप अधर्म के मार्ग को छोड़कर धर्म के मार्ग पर और सत्य के साथ चल सकते हैं, और देखना इसमें जीत अवश्य ही आपकी ही होगी |
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