बेटी और पिता की 
दिल को छू जाने वाली कविता 

आँखे नम हो जाती है 
जब मेरी बेटी मुझसे दूर होती है, 
बचपन से ही जिसे लाड प्यार से पला मेने

एक दिन वह मुझे छोड़ के किसी और के घर चली जाती है

रोना भी चाहता हु उसके सामने पर खुद को रोक लेता हु !
क्युकी अपनी बिटिया के आखो में मै आंसू नहीं देख सकता हु

छोटी सी थी वो जब ऊँगली पकड़ के चलती थी मेरा 
उसकी एक मुस्कान पर ही लुटा दू मै अपनी सारी खुशिया

आज मेरी बिटिया इतनी बड़ी हो गयी है, की ढूढ़ने निकली है खुद अपनी खुशियाँ। 

समय आया है अब विदाई का 
आँखे उसकी भी नम है और उसकी माँ की भी
 
पर मै न रोया उसके सामने पकड़ा मेने एक कोना 

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